2018 का ग्यारहवां केस
Case 11/2018
Nitin Jaiswal (Mandar Jadhav) is a student of research at India's one well-known university. He does not
take much interest in Politics while the university's elections are also coming
and campaigning is at the peak. He believes that the candidate that gives better
clarity on their agenda, will get his vote.
Police come to know that some time back Nitin's engagement was fixed with a girl Prerna (Sharvi Mota) which was broken after Nitin's denial. Police's prime suspects are Prerna's Father (Aasit Redij) and Brother (Puneet Kumar) but later they come to know that the marriage was broken not because of Nitin but Prerna was in love with some other guy and she requested Nitin to refuse the proposal.
Inside Story
इलाहाबाद विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख विश्विद्यालयों में से एक है। यह एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है और आधुनिक भारत के सबसे पहले विश्वविद्यालयों में से एक है। इसे 'ईस्ट के आक्सफोर्ड' नाम से जाना जाता है। अक्टूबर का समय था जब पूरे विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव का माहौल छाया हुआ था। 8 ओक्टोबर की बात है जब ये विश्वविद्यालय शाम के समय एक गोली की आवाज़ से गूँज उठा। जियोग्राफी के एक रिसर्च स्कॉलर को यूनिवर्सिटी से सटे बेली रोड पर गोली मार दी गई थी। पिछले एक हफ्ते में हुई ये दूसरी घटना थी। इससे पहले तारांचद हॉस्टल कैंपस के बाहर बसपा नेता राजेश यादव को गोली से मार दिया गया था और उसके बाद पूरे सिविल लाइन्स में खूब जमकर बवाल हुआ था। इस बार फिर ताराचंद हॉस्टल में ही रह चुके एक स्टूडेंट उपेंद्र यादव की हत्या की गई थी। उपेंद्र ग़ाज़ीपुर के जमानियां गॉंव का रहने वाला था और बहुत ही सिंपल परिवार से था। उसके साथ रहने वाले लड़को का भी यही कहना था की उपेंद्र बहुत की सिंपल इंसान था। वो किसी राजनितिक पार्टी या उससे जुड़े लोगों के संपर्क में भी नहीं रहता था।
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Dailymotion (Awaited) |
कैंट पुलिस के अनुसार उपेंद्र उस रात खाना खा कर लौटा था और अपनी लॉज के बाहर जैसे ही गाडी कड़ी करने लगा की अज्ञात बदमाश ने उस पर गोली चला दी। गोली उसके सर के पिछले हिस्से में लगी जिसके बाद वो ज़मीन पर गिर पड़ा। आसपास के लोगों को लगा की वो किसी एक्सीडेंट का शिकार हो गया है और उसे तुरंत अस्पताल पहुचाया गया जहाँ डॉक्टर्स ने बताया की उसके सर पर गोली लगी है। उसकी नाज़ुक हालत को देखते हुए उसे उसी रात लखनऊ के KGMU हॉस्पिटल में रेफेर कर दिया गया। उसकी कनपटी से गोली को निकाल दिया गया था और वो कोमा में था।
यूनिवर्सिटी कैंपस में उपेंद्र को गोली लगने का मुद्दा गरम होने लगा था और ये कोई चुनावी मुद्दा न बने इसके लिए पुलिस प्रशासन भी सतर्क था। उपेंद्र ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन किया था और तब वो ताराचंद हॉस्टल में रहता था। इस लॉज में वो कुछ समय पहले ही शिफ्ट हुआ था मगर उसके हॉस्टल में रहने वाले जूनियर्स और सीनियर्स से अभी भी सम्बन्ध बने हुए थे। उसका हॉस्टल आनाजाना लगा रहता था। पुलिस का ये कहना था की जबतक मामले का पूरा खुलासा नहीं होता, इसको इलेक्शन के साथ जोड़ना सही नहीं हैं।
यूनिवर्सिटी की पिछली छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह ने पूरे मामले की जांच की मांग की थी। उसका कहना था की इस यूनिवर्सिटी में पूरे देश से लोग पढ़ने आते हैं और इस तरह की वारदात से यूनिवर्सिटी की इमेज खराब हो रही है। उसका ये भी कहना था की एक स्कॉलर जिसने पॉलिटिक्स से दूरदूर तक कोई लेना-देना नहीं था उसका इस प्रकार से क्यों मारा गया होगा?
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Part 1: http://bit.ly/2FOo32I
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